girl has rejected proposal in Hindi Moral Stories by r k lal books and stories PDF | लड़की ने शादी अस्वीकृत की

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लड़की ने शादी अस्वीकृत की

लड़की ने शादी अस्वीकृत की

आर० के० लाल

पूरे घर में उदासी छाई थी। अंकिता ने रिश्ता जो ठुकरा दिया था। उसकी दादी उसी को कोस रही थी, “ अच्छा खासा रिश्ता स्वयं चल कर आया था। बड़े घर वाले थे, क्या लड़का था, पूरा हीरा था। बंगला, मोटर-कार, नौकर- चाकर से भरा घर था । पिता सरकारी अफसर और खुद का बाईस लाख का पैकेज । पहले दौर में तो उन लोगों ने हाँ कर दी थी । मगर कोई अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ले तो किसी का क्या दोष? क्या जरूरत थी अंकिता को सबका इंटरव्यू लेने की” ? दादा जी भी बोल पड़े, “सब उसके पापा राम नाथ की गल्ती है जिसने उसे सिर पर चढ़ा रखा है और उसे मोर्डन बना दिया है। कुँवारी बैठी रहेगी तो पता चलेगा”।

वैसे तो अंकिता बहुत खूबसूरत और समझदार थी। वह एक आई टी कंपनी में मैनेजर थी। उसमें अपने जीवन के प्रति पूर्ण आत्मविश्वास था। उसकी शादी की बात चल रही थी। आज लड़के के परिवार वाले उसे देखने आ रहे थे इसलिए वह जल्दी अपने कार्यालय से छुट्टी लेकर घर आ गई थी। ऐसा नहीं था कि वह शादी नहीं करना चाहती थी। शादी को लेकर उसके बड़े सपने थे। दोनों पक्ष वाले एक बड़े होटल में एकत्रित हुये थे। वहाँ अंकिता का वह सपना भी चूर चूर हो गया जिसमें उसने सोचा था कि जब पहली बार ससुराल वालों से मिलने जाएगी तो खूब सज-धज कर हाथ में चाय की ट्रे लेकर जायेगी। होटल में यह संभव नहीं था।

आज अंकिता को अपना जॉब- इंटरव्यू याद आ गया । तब वह कितनी नर्वस हो गयी थी। उसके पसीने छूट गए थे। दिल जोर-जोर धड़क रहा था। सब कुछ जानते हुए भी प्रश्नों का जवाब नहीं दे पा रही थी जिसके लिए उसने बहुत तैयारी की थी। लगभग एक महीने तक कोचिंग सेंटर में उसे ग्रुप डिस्कशन एवं साक्षात्कार की प्रैक्टिस की थी । मगर शादी के इंटरव्यू के लिए उसे कोई तैयारी नहीं कराई गई थी। उसने अपने घर परिवार वालों और सखी सहेलियों से जो बातें सुन रखी थी सिर्फ वही बातें उसके दिमाग में घूम रही थी। सब चाहते थे कि अंकिता साड़ी पहन कर सबसे मिले मगर लड़के ने कहा था कि सामान्य कपड़े में आए ताकि उसकी लंबाई और अन्य बातों का सही पता चल सके। लड़के का पूरा परिवार अर्थात बारह तेरह लोग थे। एक बड़ी मेज के चारों ओर सभी के बैठने और काफी नाश्ता सर्व करने के पश्चात शुरुआत आपस में परिचय कराने से हुआ परंतु केवल लड़के की तरफ के लोगों के बारे में ही बताया गया। लगा जैसे वे लोग अंकिता की तरफ वालों को वे जानते ही हों अथवा उनके आगे इनकी कोई अहमियत ही न हो।

लड़के की मां ने छूटते ही अंकिता से सवाल दागना शुरू कर दिया और बोलीं, “जो कुछ मैं तुमसे पूछूंगी उसका सही सही जवाब देना”। क्या तुम्हें खाना बनाना आता है? चाय तो बना लेती होगी, सब्जियां कौन-कौन सी बना लेती हो? नॉन- वेज में चिकन, मटन, कीमा, कबाब में से कौन सी डिश अच्छी बना लेती हो? अगर घर में मेहमान आ जाए तो कितने लोगों का खाना एक साथ बना सकती हो? इतने प्रश्न एक साथ सुन कर अंकिता को लगा जैसे उसका इंटरव्यू किसी कुक के नौकरी के लिए हो रहा हो ।

अंकिता को लगा कि यह तो बहुत ही कठिन इंटरव्यू है । इंटरव्यू एक-तरफा था जिसमें लोग देख रहे थे कि क्या वह ससुराल के अपेक्षाओं के अनुरूप ढाल सकेगी या नहीं । किसी ने नहीं सोचा कि ससुराल भी लड़की की अपेक्षाओं के अनुरूप है या नहीं।

वैसे तो अंकिता को वे सभी बातें सिखायी गयी थी जिससे वह ससुराल की पूरी जिम्मेदारी उठाने में सफल हो जाएगी। उसे सब कुछ आता था। अंकिता ने बड़ी शालीनता के साथ सभी बातों का जवाब दिया। लड़के ने सिर्फ उसका पैकेज पूछा ।

सबने कहा, “रामनाथ जी , बधाई हो, हमें लड़की पसंद है, मुंह मीठा कराइये। बाकी बातें बाद में करने हमारे घर आ जाइयेगा। मेरे घर वाले मानते हैं कि व्याह में लड़के लड़की की जन्म कुंडली मिलाना निहायत जरूरी है वरना शादी सफल नहीं होती । इसलिए आप अंकिता की कुंडली भी लेते आइयेगा।

सभी लोग खुश थे। डिनर का ऑर्डर दे दिया गया ।

परंतु जिस तरह शादी तय की जा रही थी उससे अंकिता को नहीं लगा कि वे एक बहू चाहते हैं जिसे पूरे सम्मान, प्यार और बराबर अधिकारों के साथ रहना है। क्या ससुराल की जिम्मेदारी उठाने के लिए उसे अपनी खुशियों का गला घोटना होगा। उसे शादी अपनी ख़ुशी के लिए करना था, उसकी पसंद और नापसंद तो पूछा ही नहीं जा रहा है। मन ही मन अंकिता बहुत दुखी हो गयी थी। उससे नहीं रहा गया। उसने कहा मुझे भी बहुत सी बातों को स्पष्ट करना है। ससुराल वालों ने कहा क्यों नहीं तुम चाहो तो लडके से अलग बात कर सकती हो। अंकिता ने कहा धन्यवाद। मैं उनसे बात करके ही डिसीजन लूँगी। लेकिन सबसे पहले मुझे सभी लोगों के बारे में विधिवत जानना है।

अंकिता ने कहा कि उसे पता है कि शादी के बाद हर लड़की की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है और उसका खिलखिला कर हँसना, बेबाक बोलना, उछलना –कूदना, मौज- मस्ती करना, देर तक सोना, बात बात पर रूठ जाना, जिद करना सब अचानक खत्म हो जाता है, क्योंकि उसे अपने ससुराल वालों की मर्जी से चलना पड़ता है। वह ससुराल जिसमें सभी नए होते हैं। बाप की जगह ससुर , मां की जगह सास, बहन की जगह ननद और भाई की जगह देवर, सभी उससे अपने अपने लिए अपेक्षा करते हैं। मेरी भी उन लोगों से ढेर सारी अपेक्षाएँ होंगी। उन्हें आप सब कैसे पूरा करेंगे? उसने पूछा कि अगर घर में मुझे सबकी सेवा करनी पड़ेगी तो फिर मैं नौकरी पर कैसे जाउंगी ? सबने कहा शादी के बाद तुम्हें नौकरी करने की जरूरत नहीं होगी। फिर अंकिता ने पूछ लिया अगर किसी दिन मैं थक गई हूं और उस दिन खाना न बनाना चाहूँ तो कौन खाना बना कर देगा?

अब तो लड़के के पक्ष वाले गुस्से में आ गए । कहने लगे देवी जी के मिजाज अभी से ऐसे हैं तो आगे भी झेलना पड़ेगा। सबने आँखों आँखों में बात करके मना करने के मूड में आ गए थे। इससे पहले वे कुछ कहते अंकिता ने पहल कर दी कि मुझे यह रिश्ता नहीं मंजूर।

सब दंग रह गए । अंकिता ने बताया कि वह बड़े नाज़ों से पली है। वह किसी पर बोझ नहीं है और न आगे ही किसी कि गुलामी करेगी। शादी तय करते समय लड़की से भी पूछना चाहिए । किसी ने नहीं पूछा कि शादी के बाद हनीमून मनाने जाने का तुम्हारा क्या प्लान है? किसी ने नहीं पूछा कि शादी के बाद तुम कितने बच्चे पैदा करोगी और उन्हें कैसे पालोगी? किसी ने ससुराल के बारे में, लड़के के बारे में, नहीं बताया । शादी के बाद अगर मैं अपने मनमर्जी से रहना चाहूँ तो क्या होगा?

अंकिता ने कहा, ‘मुझे मेरे दादा जी ने बताया था कि जब मैं पैदा हुई तो अन्य लोगों की तरह मेरे पिता रामनाथ का मुंह नहीं लटका था । उन्होंने यह नहीं सोचा कि उनका जीवन व्यर्थ हो गया क्योंकि घर में एक अभागिन लड़की पैदा हो गई। अन्य लोगों की तरह उन्हें नहीं लगा कि अब उसे बड़ा करने, पढ़ाने-लिखाने और उसकी शादी की चिंता से उनका बीपी बढ़ जाएगा, शुगर अनियंत्रित हो जाएगी और जीवन के दिन घट जाएंगे। कमाई भी दहेज की बल चल जाएगी। जब लोगों ने कहा कि लक्ष्मी आई है तो वे मान गए थे कि उनकी बेटी सही में लक्ष्मी है। पापा ने बड़े धूमधाम से मेरी बरही मनाई थी। चांद सी बेटी देने के लिए उन्होंने अपने ईश्वर और मम्मी को धन्यवाद दिया था”।

वे मेरे सौंदर्य एवं गुणों की बखान करते हुए नहीं थकते थे। चाहे घर हो रिश्तेदार हो अथवा ऑफिस के अफसर एवं साथी हों, सभी को बताते थे कि मेरी बेटी क्या अच्छा गाती है। नाचती है तो अप्सराएं भी ठिठक जाती हैं। कला में पारंगत है तो पढ़ाई में भी अव्वल आती है। कबड्डी उसका प्रिय खेल है हमेशा वह क्रिएटिव रहती है।

जब मैं 16 साल की हुई तो मेरे पापा को मेरे चाल-चलन को लेकर कोई चिंता नहीं हुई। उन्होंने सारे अच्छे संस्कार मेरे को दिया था । इसलिए मुझे छूट दिया था कि जो चाहो करो क्योंकि मैं अपना भला बुरा जानती थी और मॉडर्न होते हुए भी अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक थी। मैं जुडो कराटे में भी माहिर बनाई गयी थी।

घर में हम दो भाई –बहन थे। मगर किसी का कमरा कभी अलग नहीं किया गया ताकि समानता से हम दोनों बढ़ सकें । सभी एक साथ रहते, खाते-पीते, हंसते बोलते, टीवी देखते और सोते । मुझे भी लड़कों के कपड़े पहनने की छूट थी। केवल इतना ध्यान रखना होता था कि कोई नुइडिटी और फूहड़पन न हो। पापा ने अपनी सभी प्रॉपर्टी बैंक के अकाउंट जॉइंट बनाए थे।

इतना ही नहीं समाज में आए दिन लड़कियों के प्रति हो रही शर्मनाक घटनाओं के मद्देनजर पापा की चिंता भले ही बड़ी रही हो परंतु उन्होंने अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाया और नौकरी भी करने बाहर भेजा। कभी पैर पीछे नहीं खींचा। हां मेरे दोस्तों के विषय में और मुझे कहां जाना आना है आदि के बारे में पूरी जानकारी और निगरानी रखते थे। वे कहते हैं कि अपनी प्रिंसेस के नखरे वो पूरी जिंदगी उठा सकते हैं। मैं सुंदर हूँ, मेरा अच्छा पैकेज है इसलिए मैं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हूँ। आजीवन एक दूसरे का साथ निभाने के लिए एकतरफा निर्णय उचित नहीं है। इसलिए आज की मुलाक़ात बस इतनी ही । यह कह कर अंकिता ने सभी को घर चलने को कहा। उसे पता था कि पापा के रहते कोई उसकी तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सकता था।

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